Tuesday, September 19, 2023

"भूले है तुम्हे बड़ी शिद्दतो से" | हिंदी शायरी (प्रज्ज्वलित यादव)

 


भूले है तुम्हे बड़ी शिद्दतो से,
 याद नहीं आई हों कई मुद्दतो से।

अब नहीं निकलते तुम्हारी घर की सड़क से,
हम तो गुजरते है अपनी ही रह'गुजर से।

ये दिल भी पत्थर हो गया है पत्थर की रगड़ से,
यू नहीं टूटेगा अब ये हल्की सी दमक से।

मैं भी कितना पागल था जो मर रहा था शर्म से,
गलती मेरी थी या तुम्हारी निकल ही नहीं पाया इस मर्म से।

दुआ है मेरी तुम्हारे लिए बड़े अदब से
कोई प्यार करने वाला मिले तुम्हे खुदा की ने'मत से।

~प्रज्ज्वलित यादव~

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