Sunday, September 17, 2023

"बुरा हो वक्त तो सब आजमाने लगते हैं" | हिंदी शायरी (मालिकज़ादा जावेद)

की मरीज हमको दवाएं बताने लगते हैं,

बुरा हो वक्त तो सब आजमाने लगते हैं, 

खुदा बुजुर्गों को ताउम्र खुद कफी रखें,

वगरना खून के रिश्ते रुलाने लगे हैं,

अजीब दौर है गुरबत की सर बुलंदी का,

पढ़ाई छोड़ के बच्चे कमाने लगते हैं,

नए अमीरों के घर भूल कर भी मत जाना,

हर एक चीज की कीमत बताने लगते हैं।

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"दुआएं मन्नते रोशन दीया कबूल करें" | हिंदी शायरी (जम्मुल काज़मी)

  दुआएं मन्नते रोशन दीया कबूल करें, वो आए मेरे और अश्क-ए-वफा कबूल करें, वो आईने से अगर मुतमईन नहीं है तो फिर, हमारी आंखें बतौर आईना कबूल करे...