Monday, September 18, 2023

"तेरे बदन की खुशबू में मिलावट है किसी की" | हिंदी शायरी (प्रज्ज्वलित यादव)

 

तेरे बदन की खुशबू में मिलावट है किसी की,

तुझे बेहकाना हर किसी का काम नहीं लगता।


हम तो आपने आप में ही मरीज-ए-इश्क है,

जा ये बेवफाई का इल्ज़ाम भी तेरे सर नहीं लगता।


अब क्यों सता रहा है ये गम हमे,

इस गम को एक बीमार बीमार नहीं लगता।


रातों को जागे है और दिन में सोये बहुत,

अब हमे सूरज सूरज और चांद चांद नहीं लगता।


हम दोनों के दरमिया में दूरी बहुत है,

पर हमे ये फासला कुछ ख़ास नहीं लगता।


हम करते रहेंगे तेरे लोट आने का इंतज़ार,

अब तेरा इंतजार भी इंतजार नहीं लगता।


•प्रज्ज्वलित यादव•

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"दुआएं मन्नते रोशन दीया कबूल करें" | हिंदी शायरी (जम्मुल काज़मी)

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