रबते भी रखता हूं, रास्ते भी रखता हूं,
लोगों से भी मिलता हूं, फासले भी रखता हूं।
गम नहीं करता हूं, अब छोड़ जाने वालों का,
तोड़ के ताल्लुक में, दर खुले भी रखता हूं।
खुद को अगर बदला वक्त के मुताबिक तो,
वक्त को बदलने का हौसला भी रखता हूं।
दुआएं मन्नते रोशन दीया कबूल करें, वो आए मेरे और अश्क-ए-वफा कबूल करें, वो आईने से अगर मुतमईन नहीं है तो फिर, हमारी आंखें बतौर आईना कबूल करे...
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